चंद्रयान 3 का सफल परीक्षण देशवासियों में खुशी का लहर
इसरो का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को लॉन्च हुआ और चांद की सतह पर पहुंचा। इस मिशन के पूरा होने तक 40 दिन का सफर तय किया। चंद्रयान- 3 के सफरनामें पर एक नजर... 14 जुलाई वाहन ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक
कक्षा में लॉन्च किया। चंद्रयान-3 ने सटीक कक्षा में अपनी यात्रा शुरू की।
15 जुलाई: पहला कना-उन्नयन पैंतरेबाज़ी (अर्थबाउंड फायरिंग-1) इंस्ट्रैक / इसरो, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया। अंतरिक्ष यान 41762 किमी 173
किमी की कक्षा में है।
17 जुलाई: दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया गया। अंतरिक्ष यान 41603 किमी x
226 किमी की कक्षा में है। • 22 जुलाई पृथ्वी- बाउड पेरिजी फायरिंग का उपयोग करके कक्षा बढ़ाने की एक और प्रक्रिया पूरी हुई।
25 जुलाई: इसरो ने कक्षा बढ़ाने का एक और युद्धाभ्यास किया। अंतरिक्ष यान 71351 किमी 233 किमी कक्षा में है।
1 अगस्त: इसरो ने ट्रांसलूनर इंजेक्शन सफलतापूर्वक किया और अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया। 288 किमी. x 369328 किमी की कक्षा हासिल की गई।
5 अगस्त: चंद्रयान-3 को चंद्र-कक्षा में
सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। जैसा कि
इरादा था, कक्षा 164 किमी x 18074 किमी
हासिल की गई।
16 अगस्तः इसरो ने दूसरा चंद्र बाउंड चरण (एलबीएन) किया। इसके साथ, अंतरिक्ष यान चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी 4313 किमी की कक्षा में है। अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा की कक्षा में 3 द्वारा देखे गए चंद्रमा का वीडियो जारी किया।
प्रवेश के दौरान चंद्रयान-
9 अगस्त: एक युद्धाभ्यास के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा 174 किमी x 1437 किमी तक कम हो गई।
14 अगस्त: मिशन एक और युद्धाभ्यास के बाद कक्षा में गोलाकार चरण में है। अंतरिक्ष यान 151 किमी x 179 किमी की कक्षा में है। फायरिंग पूरी होने के बाद अंतरिक्ष यान को 153 किमी 163 किमी की
16 अगुस्तः कक्षा में लाया गया।
17 अगस्त: लँडर मॉड्यूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया। 18 अगस्त: इसरो ने अपनी कक्षा को कम करने के लिए लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग
की। लेंडर मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में है। 20 अगस्त: लैंडर मॉड्यूल पर एक और डी-बूस्टिंग या ऑर्बिट रिडक्शन पैंतरेबाज़ी की
गई। लैंडर मॉड्यूल 25 किमी 134 किमी कक्षा में है।
21 अगस्त: चंद्रयान-2 ऑर्बिटर औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लँडर मॉड्यूल का स्वागत करता है और कहता है आपका स्वागत है दोस्त।' दोनों के बीच दोतरफा संवाद स्थापित होता है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स के पास अब लैंडर मॉड्यूल के साथ संचार करने के अधिक तरीके हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा
22 अगस्त (एलपीडीसी) द्वारा लगभग 70 किमी की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें जारी की।
सिस्टम की नियमित जांच चल रही है। सुचारू नौकायन जारी है।
[24/08, 8:57 am] misirgwan news: अब चांद भी मुट्ठी में...
जेएनएन चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई। अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुट्ठी में है।
इसरो ने चांद पर परचम लहरा दिया है। अब बच्चे सिर्फ चंदा मामा नहीं बुलाएंगे। चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को पूरा करेंगे। करवा चौथ की छली से सिर्फ चांद नहीं बल्कि देश की बुलंदी भी दिखेगी। चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर अपने कदम रख दिए हैं।
...वो आखिरी 20 मिनट जब हुई लैंडिंग
चंद्रयान-3 के लैंडिंग के 20 मिनट बड़े सस्पेंस भरे रहे। शाम 5:45 से 6:04 बजे तक इसरो के वैज्ञानिकों के साथ ही टीवी व कम्प्यूटर के सामने डटे करोड़ों देशवासियों की जान हलक पर रही। लेकिन जैसे ही विक्रम लैंडर ने सुरक्षित लैंडिंग की लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा।
ऐसे चांद पर उतरा भारत
• विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे। यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक।
# 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था।
# 6.8 किमी की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई। अगला लेवल 800 मीटर था।
# 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे।
# 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी
800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच। • 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच।
10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी। ■ चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी।
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