स्थानीय निकाय एवं नगरीय निकाय के निर्वाचन में ओबीसी आरक्षण समाप्त
स्थानीय निकाय एवं नगरीय निकाय के निर्वाचन में ओबीसी आरक्षण समाप्त किए जाने से SC, ST, OBC N Moin, के लोगों की नाराजगी, विरोध एवं असहयोग के कारण 18 मई को रीवा जिले में मुख्यमंत्री श्रीस्थानीय निकाय एवं नगरीय निकाय के निर्वाचन में ओबीसी आरक्षण समाप्त किए जाने से SC, ST, OBC N Moin, के लोगों की नाराजगी, विरोध एवं असहयोग के कारण 18 मई को रीवा जिले में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह का आयोजित कार्यक्रम सबसे पूर्ण रूपेण फ्लाप कार्यक्रम यह। कई बिशेषंज्ञो एवं राजनीतिज्ञों का कहना है कि कि किसी मुख्यमंत्री का शायद यह पहला कार्यक्रम होगा जिसमें आधे से अधिक कुर्सियां खाली रह गई।
यहां तक कि लोगों को बैठने के लिए लगाई गई कुर्सिया समेटकर पीछे पलटा दी गई ताकि कुर्सी खाली ना देखें। इसी कारण से मीडिया वालों ने मात्र मंच की फोटो पेपर में प्रकाशित किए हैं जनता जनार्दन की कोई फोटो नहीं प्रकाशित की गई, मुख्यमंत्री के आने के पूर्व तक पूरा प्रशासन मातहत अधिकारियों/कर्मचारियों को डराते धमकाते हुए भीड़ जुटाने में लगा रहा किंतु नाकामयाब रहा। दूसरी ओर एसटी, एससी, ओबीसी एवं माइनर्टी के लोगों ने कार्यक्रम का बिरोध करते हुए मांग की है कि, ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में अधिनियम निहित आरक्षण/प्रतिनिधित्व दिया जायें।
27% या पूर्व के 30 बर्षो से मिल रहा 25% से कम आरक्षण स्वीकार नहीं होगा चाहे सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन ही करना पड़े।
बता दें कि स्थानीय निकाय एवं नगरीय निकाय में विगत तीन-चार दशकों पूर्व से ही पंचायत राज अधिनियम एवं नगरपालिका बिधि सहिंता के अनुरूप अभी तक ST एवं SC के लिए उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीट आरक्षित होती थी, इसके बाद उक्त दोनों वर्गो का कुल आरक्षण 50% से कम होने पर ओबीसी के लिए 25% सीटें आरक्षित होती थी।
18 मई को सुप्रीम कॉर्ट के निर्णय के अनुक्रम में अब कुल आरक्षण 50% तक की सीमा तक ही रहेगा उक्त स्थिति मे कई जिले यथा डिंडोरी, अनूपपुर, झबुआं आदि जहां एसटी व एससी की जनसंख्या 50% के लगभग है वहां ओबीसी को आरक्षण लगभग शून्य रहेगा।
बिना संविधान संशोधन के ही अपनी सरकार बचाने के लिए आरक्षण दे ही रहे हैं तो बिगत 30 बर्षो से मिल रहे आरक्षण को चालू रखा जाना चाहिए।
शायद कई दशको से परोसी हुई थाली छीनना कतई उचित नहीं है।
सभी अपने हक अधिकारों के लिए सजग रहे, अभी ओबीसी के आरक्षण समाप्त करने की शुरुआत हुई है आगे एसटी व एससी के आरक्षण समाप्त करने की इसी तरह की साजिस की प्रबल संभावना बनी हुई है।
सभी लोगों को सजगता पूर्वक एकजुटता के साथ योजनाबद्ध तरीके से बिरोध करने की आवश्यकता है। शिवराज सिंह का आयोजित कार्यक्रम सबसे पूर्ण रूपेण फ्लाप कार्यक्रम यह। कई बिशेषंज्ञो एवं राजनीतिज्ञों का कहना है कि कि किसी मुख्यमंत्री का शायद यह पहला कार्यक्रम होगा जिसमें आधे से अधिक कुर्सियां खाली रह गई।
यहां तक कि लोगों को बैठने के लिए लगाई गई कुर्सिया समेटकर पीछे पलटा दी गई ताकि कुर्सी खाली ना देखें। इसी कारण से मीडिया वालों ने मात्र मंच की फोटो पेपर में प्रकाशित किए हैं जनता जनार्दन की कोई फोटो नहीं प्रकाशित की गई, मुख्यमंत्री के आने के पूर्व तक पूरा प्रशासन मातहत अधिकारियों/कर्मचारियों को डराते धमकाते हुए भीड़ जुटाने में लगा रहा किंतु नाकामयाब रहा। दूसरी ओर एसटी, एससी, ओबीसी एवं माइनर्टी के लोगों ने कार्यक्रम का बिरोध करते हुए मांग की है कि, ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में अधिनियम निहित आरक्षण/प्रतिनिधित्व दिया जायें।
27% या पूर्व के 30 बर्षो से मिल रहा 25% से कम आरक्षण स्वीकार नहीं होगा चाहे सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन ही करना पड़े।
बता दें कि स्थानीय निकाय एवं नगरीय निकाय में विगत तीन-चार दशकों पूर्व से ही पंचायत राज अधिनियम एवं नगरपालिका बिधि सहिंता के अनुरूप अभी तक ST एवं SC के लिए उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीट आरक्षित होती थी, इसके बाद उक्त दोनों वर्गो का कुल आरक्षण 50% से कम होने पर ओबीसी के लिए 25% सीटें आरक्षित होती थी।
18 मई को सुप्रीम कॉर्ट के निर्णय के अनुक्रम में अब कुल आरक्षण 50% तक की सीमा तक ही रहेगा उक्त स्थिति मे कई जिले यथा डिंडोरी, अनूपपुर, झबुआं आदि जहां एसटी व एससी की जनसंख्या 50% के लगभग है वहां ओबीसी को आरक्षण लगभग शून्य रहेगा।
बिना संविधान संशोधन के ही अपनी सरकार बचाने के लिए आरक्षण दे ही रहे हैं तो बिगत 30 बर्षो से मिल रहे आरक्षण को चालू रखा जाना चाहिए।
शायद कई दशको से परोसी हुई थाली छीनना कतई उचित नहीं है।
सभी अपने हक अधिकारों के लिए सजग रहे, अभी ओबीसी के आरक्षण समाप्त करने की शुरुआत हुई है आगे एसटी व एससी के आरक्षण समाप्त करने की इसी तरह की साजिस की प्रबल संभावना बनी हुई है।
सभी लोगों को सजगता पूर्वक एकजुटता के साथ योजनाबद्ध तरीके से बिरोध करने की आवश्यकता है।
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