*मानवतावादी लोकतांत्रिक राजा: शाहूजी महाराज*

By mnnews24x7.com Sat, Jun 26th 2021 मिसिरगवां समाचार     

*मानवतावादी लोकतांत्रिक राजा: शाहूजी महाराज*

महान दार्शनिक प्लेटो ने अपनी चर्चित किताब ‘रिपब्लिक’ में एक ऐसे राजा की कल्पना की है जिसमें *दार्शनिक जैसी मानवीय गरिमा, साहस और राजनीतिक श्रेष्ठता एवं बौद्धिकता का मेल हो*. उसका कहना था कि ऐसा राजा मानव जाति को तमाम अभिशाप से मुक्त कर सकता है और अंधेरे से निकाल कर रोशनी की ओर ले जा सकता है. भारत में ऐसे राजाओं की गिनी-चुनी मिसालें ही हैं.

ऐसे ही एक राजा का नाम है- छत्रपति शाहूजी महाराज (26 जून, 1874- 6 मई, 1922), जिन्होंने अपने राज्य कोल्हापुर की करीब 90 प्रतिशत आबादी को उन सभी अभिशापों से मुक्त करने के लिए ऐसे ठोस एवं निर्णायक उपाय किए, जो अभिशाप उनके ऊपर जाति व्यवस्था ने लाद रखे थे! . *बाबा साहब आंबेडकर के सामाजिक अभियान में भी शाहूजी महाराज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी* जिसका जिक्र रिसर्चर अरविन्द कुमार ने अपने आलेख में विस्तार से किया है.

*आधुनिक भारत में सामाजिक प्रतिनिधित्व के जनक*

26 जुलाई, 1902 में उन्होंने राजकाज के सभी क्षेत्रों में उच्च जातियों का एकछत्र वर्चस्व तोड़ने के लिए पिछड़े वर्गों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था. यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि पिछड़े वर्ग में मराठा, कुनबियों एवं अन्य समुदायों के साथ दलितों एवं आदिवासियों को भी उन्होंने शामिल किया था. उन्होंने इस संदर्भ में जो आदेश जारी किया था, उसमें साफ लिखा है कि पिछड़े वर्ग में ब्राह्मण, प्रभु, शेवाई और पारसी को छोड़कर सभी शामिल हैं.

शाहूजी द्वारा असमानता को खत्म करने एवं *न्याय के लिए उठाए गए इस कदम का अनुसरण* करते हुए 1918 में मैसूर राज्य ने, 1921 में मद्रास जस्टिस पार्टी ने और 1925 में बाम्बे प्रेसीडेंसी (अब मुंबई) ने आरक्षण लागू किया. ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू संविधान के बाद सिर्फ एससी-एसटी समुदाय को आरक्षण मिल पाया. आजादी के बाद कई राज्यों में पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया गया लेकिन केंद्र सरकार की नौकरियों (1993) और शैक्षणिक संस्थाओं (2006) में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण का अधिकार काफी देर से मिला.

आखिर शाहूजी ने आरक्षण क्यों लागू किया, इसका मुकम्मल जवाब उनके द्वारा बाम्बे (अब मुंबई) के पूर्व गर्वनर लॉर्ड सिडेनहम को लिखे पत्र में मिलता है. करीब 3 हजार शब्दों के इस पत्र में उन्होंने कोल्हापुर राज्य में *जीवन के सभी क्षेत्रों में नीचे से ऊपर तक ब्राह्मणों के पूर्ण वर्चस्व और गैर-ब्राह्मणों की अनदेखी का वर्णन* किया. उन्होंने पुरजोर तरीके से यह तर्क दिया है कि गैर-ब्राह्मणों को पृथक प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण दिए बिना कोल्हापुर राज्य में न्याय का शासन स्थापित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि गैर-ब्राह्मणों के हित में उठाए जाने वाले हर कदम को नीचे से लेकर ऊपर तक (गांव से लेकर ऊपर के शीर्ष पद तक) नौकरशाह एवं कर्मचारी के रूप में कब्जा जमाए ब्राह्मण लागू नहीं होने देते हैं.

कोल्हापुर राज्य में *ब्राह्मणों की आबादी करीब 3 से 4 %* के बीच थी लेकिन शासन-प्रशासन के पदों और शिक्षा पर उनकी *हिस्सेदारी करीब 70-80 प्रतिशत तक थी*. 1894 में शाहूजी जब राजा बने तो सामान्य प्रशासन के कुल 71 पदों में से 60 पर ब्राह्मण अधिकारी मौजूद थे. शाहूजी महाराज के निर्देश पर 1902 में अन्य जातियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू हुआ और 20 वर्षों में स्थिति बदल गई. 1922 में सामान्य प्रशासन के कुल 85 पदों में से 59 पदों पर गैर-ब्राह्मणों अधिकारी नियुक्त थे. शाहूजी द्वारा आरक्षण लागू करने का उद्देश्य न्याय एवं समता आधारित समाज का निर्माण करना था और इसके लिए सामाजिक विविधता जरूरी थी.

*शिक्षा के जरिए सामाजिक बदलाव*

शाहूजी जानते थे कि बिना शिक्षा के पिछड़े वर्गों का उत्थान नहीं हो सकता है. *उन्होंने 1912 में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और नि:शुल्क बनाने का निर्णय लिया*. 1917-18 तक नि:शुल्क प्राथमिक स्कूलों की संख्या दोगुनी हो गई. इसने शिक्षा के मामले में ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के अनुपात में निर्णायक परिवर्तन ला दिया.

आरक्षण एवं शिक्षा के साथ जीवन के अन्य सभी क्षेत्रों में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए शाहूजी ने अनेक कानून बनाए, प्रशासनिक आदेश जारी किए और उनको पूरी तरह लागू कराया, जिसने कोल्हापुर राज्य के सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक संबंधों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया. इसी के चलते शाहूजी के जीवनीकार धनंजय कीर उन्हें एक क्रांतिकारी राजा के रूप में संबोधित करते हैं और अधिकांश अध्येता उन्हें सामाजिक लोकतंत्र का एक आधार स्तंभ कहते हैं.

सच यह है कि शाहूजी ने अपने राज्य में न्याय एवं समता की स्थापना के लिए जो कदम उठाए, उसमें बहुत सारे कदम ऐसे हैं जिन्हें उठाने में आजाद भारत की सरकार को दशकों लग गए और कुछ कदम तो ऐसे हैं, जिन्हें आज तक भारत की कोई सरकार उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है. उसका एक उदाहरण है, 20 सितंबर 1917 को सभी धर्म स्थलों को राज्य के नियंत्रण में लेने का आदेश जारी करना. न केवल सार्वजनिक धर्म स्थलों, बल्कि उन धर्म स्थलों को भी राज्य के नियंत्रण में ले लिया गया, जिन्हें राज्य की ओर से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता मिलती हो. इससे भी आगे बढ़कर उन्होंने शीर्षस्थ धार्मिक पदों पर पिछड़े वर्ग के लोगों की नियुक्ति कर दी.

जिस बंधुआ मजदूरी प्रथा को पूरे भारत के स्तर पर भारत सरकार 1975 में जाकर कर खत्म कर पाई, *उस प्रथा को 3 मई 1920 के एक आदेश से शाहूजी ने कोल्हापुर राज्य में खत्म कर दिया*. इसके पहले उन्होंने 1919 में महारों से दास श्रमिक के रूप में काम कराने की प्रथा को समाप्त कर दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने मनु संहिता की मूल आत्मा को उलटते हुए अन्तरजातीय विवाह की अनुमति प्रदान करने के लिए भी कानून पारित कराया.
महिलाओं को समता का अधिकार दिलाने के लिए जो हिंदू कोड बिल डॉ. आंबेडकर ने प्रस्तुत किया था, उसका आधार शाहूजी ने 15 अप्रैल 1911 को प्रस्तुत कर दिया था. इसमें उन्होंने विवाह, संपत्ति एवं दत्तक पुत्र-पुत्री के संदर्भ में महिलाओं को समता का अधिकार प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए थे.

सामाजिक क्रांति के प्रणेता

*कोल्हापुर राज्य से अस्पृश्यता का नामो-निशान मिटाने का तो शाहूजी ने संकल्प ही ले लिया था*. छुआछूत खत्म करने की अपनी कोशिशों के तहत 15 जनवरी 1919 को उन्होंने आदेश जारी किया कि यदि किसी भी सरकारी संस्थान में ‘अछूत’ कहे जाने वाले लोगों के साथ अस्पृश्यता और असमानता का व्यवहार किया है, और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाया जाता है तो *ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों को 6 सप्ताह के अंदर इस्तीफा देना होगा*.

उन्होंने दलित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए नि:शुल्क हॉस्टल खोले और उनके लिए स्कॉलरशिप का इंतजाम किया. 30 सितंबर 1919 को शाहूजी ने सिर्फ दलित समुदाय के बच्चों के लिए खोले गए पृथक स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया और सभी स्कूलों को उनके प्रवेश के लिए खोल दिए गया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि सभी जातियों एवं सभी धर्मों के बच्चे एक साथ, एक तरह के स्कूल में पढ़ेंगे. दलितों के सशक्तीकरण के कदम के रूप में उन्होंने गांव के अधिकारी के रूप में उनकी नियुक्त की.

*अन्याय के शिकार लोगों के प्रति संवेदना और अन्याय को खत्म करने के साहस का एक बड़ा प्रमाण* शाहूजी द्वारा 1918 में उठाए गए उस कदम में मिलता है, जिसके तहत उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपराधी घोषित किए गए आदिवासियों को पुलिस थाने में उपस्थिति दर्ज कराने के नियम को रद्द कर दिया और उन्हें सामाजिक सम्मान दिलाने के लिए उनमें से कुछ को अपने सहायक के रूप में रख लिया.

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त *न्यायाधीश पी. बी. सावंत शाहूजी को विशाल ह्रदय एवं व्यापक विजन* वाले एक महान व्यक्तित्व के रूप में याद करते हुए कहते हैं कि वे एक असाधारण राजा थे और बुनियादी तौर पर सामान्य जन के साथ खड़े थे. उनका यह भी कहना है कि उनके जीवन, चिंतन एवं कार्यों का सिर्फ एक लक्ष्य था, वह यह कि कैसे दबे-कुचले एवं उत्पीड़ित लोगों की जीवन स्थितियों को बेहतर बनाया जाए. *कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने शाहूजी को डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएलडी) की मानद उपाधि* से सम्मानित किया.

( *द प्रिंट में प्रकाशित* श्री सिद्धार्थ रामू जी के लेख से साभार

Similar Post You May Like

  • त्यौहार में बिक रही मिलावटी खोवे की मिठाइयां

    त्यौहार में बिक रही मिलावटी खोवे की मिठाइयां

    *त्यौहार में बिक रही मिलावटी खोवे की मिठाइयां* मऊगंज मऊगंज बाजार में खुले में मिलावटी खोवा से मिठाइयों का भंडार खुली जगह में खुली मिठाइयां विक्री की जा रही है जहां कीड़े मकोड़े गंदगी और मिलावटी मिठाइयों का भंडार लगा है फ़ूड अधिकारी सिर्फ त्योहारों में व्यापारियों का और अपना त्यौहार बनाने के लिए जांच पड़ताल और फोटो खींचकर चले जाते हैं कई वर्षों से जांच होती रही लेकिन अब तक किस

  • मध्‍य प्रदेश में अब बिना परमिट वाले स्कूल व यात्री वाहनों पर प्रति सीट लगेगा जुर्माना

    मध्‍य प्रदेश में अब बिना परमिट वाले स्कूल व यात्री वाहनों पर प्रति सीट लगेगा जुर्माना

    *मध्‍य प्रदेश में अब बिना परमिट वाले स्कूल व यात्री वाहनों पर प्रति सीट लगेगा जुर्माना* भोपाल। बिना परमिट के स्कूल बस और यात्री वाहन चलाने पर अब बैठक क्षमता के अनुसार एक हजार रुपये प्रति सीट जुर्माना लगेगा। माल वाहन के लिए यह दर प्रति टन के हिसाब से होगी। अभी बिना परमिट या परमिट की शर्त का उल्लंघन करने पर जीवनकाल कर की राशि का 25 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाता रहा है। इसी तरह मोटरयान कर

  • MP में शपथ पत्र के लिए अब 200 और अचल संपत्ति के एग्रीमेंट के लिए 5000 रुपये का लगेगा स्टांप

    MP में शपथ पत्र के लिए अब 200 और अचल संपत्ति के एग्रीमेंट के लिए 5000 रुपये का लगेगा स्टांप

    *MP में शपथ पत्र के लिए अब 200 और अचल संपत्ति के एग्रीमेंट के लिए 5000 रुपये का लगेगा स्टांप* भोपाल। शपथ पत्र बनवाने के लिए अब 50 की जगह 200 रुपये और अचल संपत्ति के एग्रीमेंट के लिए 1000 की जगह 5000 रुपये का स्टांप लगेगा। ऐसे 12 तरह के कामों के लिए स्टांप शुल्क में वृद्धि होने वाली है। इसके लिए विधानसभा में प्रस्तुत भारतीय स्टांप (मप्र संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को पारित हो गया है। चर्चा के दौरान कांग्रे

  • जन विश्वास विधेयक कोर्ट-कचहरी से मुक्ति, जुर्माना लगाकर केस होंगे खत्म

    जन विश्वास विधेयक कोर्ट-कचहरी से मुक्ति, जुर्माना लगाकर केस होंगे खत्म

    *जन विश्वास विधेयक कोर्ट-कचहरी से मुक्ति, जुर्माना लगाकर केस होंगे खत्म* भोपाल। मध्य प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने, व्यापार-व्यावसाय में आसानी और भयमुक्त वातावरण देने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने जन विश्वास संशोधन विधेयक के माध्यम से 12 विभागों के 20 अधिनियमों में संशोधन कर दिया। अब छोटे-मोटे मामलों में कोर्ट-कचहरी के स्थान पर अर्थदंड लगाकर मामला निपटा दिया जाएग

  • रक्षाबंधन से पहले टूटा भाई-बहन का अटूट बंधन, सांप के डसने से मौत, अंधविश्वास बना काल

    रक्षाबंधन से पहले टूटा भाई-बहन का अटूट बंधन, सांप के डसने से मौत, अंधविश्वास बना काल

    *रक्षाबंधन से पहले टूटा भाई-बहन का अटूट बंधन, सांप के डसने से मौत, अंधविश्वास बना काल* कटनी। घर में एक ही कमरे में सो रहे भाई-बहन को रात में सांप ने डस लिया। स्वजन उनको तत्काल इलाज कराने ले जाने की जगह पहले झाड़फूंक कराने ले गए। जब हालत बिगड़ने लगी तो दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया। जब तक जहर शरीर में फैल गया और दोपहर तक दोनों एक के बाद एक दम तोड़ दिया। रक्षाबंधन पर्व से पहले हुई यह घटन

  • कांग्रेस नेता आशीष तिवारी ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की

    कांग्रेस नेता आशीष तिवारी ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की

    आमजनमानस की आवाज बनकर सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे - आशीष तिवारी । *कांग्रेस नेता आशीष तिवारी ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की* रीवा। कांग्रेस नेता आशीष तिवारी ने भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, पूर्व मंत्री बाला बच्चन, लखन घनघोरिया,जयवर्धन सिंह, समेत दर्जनों विधायकों से मुलाका

  • बेटियों ने चारपाई में लेटाकर पहुंचाया मरीज को सड़क तक

    बेटियों ने चारपाई में लेटाकर पहुंचाया मरीज को सड़क तक

    *बेटियों ने चारपाई में लेटाकर पहुंचाया मरीज को सड़क तक* । *>गंगेव जनपद के ग्राम पंचायत घुचियारी का मामला ।* *>सरपंच ने नहीं डालवाया सड़क पर मुरूम, डेढ़ किलोमीटर तक बेटियो ने उठाई चारपाई।* गंगेव-: जनपद पंचायत गंगेव के ग्राम पंचायत घुचियारी बहेरा में सड़क की हालत इतनी जर्जर थी कि बरसात के कारण मुरूम की रोड में गड्ढे हो गए थे जिस एंबुलेंस घर तक नहीं पहुंच

  •  भाजपा सरकार की ढुलमुल व्यवस्था से जनमानस त्रस्त है - आशीष तिवारी

    भाजपा सरकार की ढुलमुल व्यवस्था से जनमानस त्रस्त है - आशीष तिवारी

    भाजपा सरकार की ढुलमुल व्यवस्था से जनमानस त्रस्त है - आशीष तिवारी । रीवा। कांग्रेस नेता एवं पूर्व चुनाव प्रभारी आशीष तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार की उदासीनता और ढुलमुल व्यवस्था के कारण रीवा,विंध्य समेत प्रदेश का जनमानस जलमग्न होकर त्राहिमाम कर रहा है । उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जिस गुजरात मॉडल का डंका विश्व में बजा रही है उसकी ज़मीनी हकीकत अब देश के जनमानस के समक्ष स्पष्ट है,

  • भाजपा के पूर्व मंडी अध्यक्ष राम सिंह जी,के घर में बाढ का पानी जब भरा तो वो  (स्कार्पियो गाड़ी में रात्रि भर बैठे रहे )। उनके बेटे अजय सिंह पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष थे।

    भाजपा के पूर्व मंडी अध्यक्ष राम सिंह जी,के घर में बाढ का पानी जब भरा तो वो (स्कार्पियो गाड़ी में रात्रि भर बैठे रहे )। उनके बेटे अजय सिंह पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष थे।

    भाजपा के पूर्व मंडी अध्यक्ष राम सिंह जी,के घर में बाढ का पानी जब भरा तो वो (स्कार्पियो गाड़ी में रात्रि भर बैठे रहे )। उनके बेटे अजय सिंह भाजपा जिलाध्यक्ष थे। नेहरू नगर में भंयकर बाढ की समस्या। निजात न होने के कई कारण हैं। (1)=नाला निर्माण मे बाधा उत्पन्न करना, निगम प्रशासन द्वारा,व सत्ताधारी मठाधीश नेताओं से ऐसा इसलिए कह रही की मैंने धरना प्रदर्शन कर 1.47एक करोड़ सैंतालीस लाख का नाला

  • मऊगंज में प्रकृति ने ढाया कहर: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किशोर सहित तीन की मौत

    मऊगंज में प्रकृति ने ढाया कहर: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किशोर सहित तीन की मौत

    मऊगंज में प्रकृति ने ढाया कहर: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किशोर सहित तीन की मौत मऊगंज जिला मुख्यालय में घटी वीभत्स घटना, उधर नईगढ़ी क्षेत्र में दो महिलाएं घायल मऊगंज में प्रकृति ने ढाया कहर: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किशोर सहित तीन की मौत मऊगंज जिले में शनिवार की शाम प्रकृति ने कुछ इस कदर कहर ढाया की तेज बारिश के बीच गिरी आकाशीय बिजली की चपेट में आने से जहां एक किशोर सह

ताज़ा खबर