*अधिनियम में सरपंच,सचिव को भ्रस्टाचार में लिखा है जेल*। ♦अधिनियम को पढ़ कर बात करें मुनीन्द्र जी*- ♦बताये अपने कार्यकाल में कितना वसूले है कर(टैक्स)* -
♦️ *अधिनियम में सरपंच,सचिव को भ्रस्टाचार में लिखा है जेल*।
♦️ *अधिनियम को पढ़ कर बात करें मुनीन्द्र जी*-
♦️ *बताये अपने कार्यकाल में कितना वसूले है कर(टैक्स)* -
✍🏽 *पंच सरपंच संघ के फर्जी प्रदेशअध्यक्ष श्री मुनेंद्र तिवारी को पंचायत राज अधिनियम का अधूरा ज्ञान है इसलिए गलत वक्तव्य दे रहे हैं, ग्राम पंचायतें अपने पंचायत क्षेत्र में कर लगा/वसूल सकती है, परंतु देखना यह है कि कराधन प्राप्त करने वाली पंचायतों ने ग्राम सभा मे तय कर क्या कर अधिरोपित किया, किस ब्यक्ति से कितना कितना कर किस किस कार्य मे लिया जाना है इसका निर्णत ग्राम सभा से हुआ है,अधिरोपित कर की वसूली की गई है, अगर वसूली की गई तो राशि शासकीय खजाने में जमा की गई, किस किस ब्यक्ति से ली गई है,करारोपण से प्राप्त राशि को बैंक में जमाकर लेखा-जोखा संधारित किया गया है,प्राप्त राशि किसमे खर्च की गई है, नियमानुसार ऑडिट कराई गई तथा इस प्रक्रिया का जनपद पंचायत से भौतिक सत्यापन कराया गया है यही सब जांच का मूल बिंदु है*|
*✍🏽जनपद पंचायत गंगेव जिला रीवा की कराधन प्राप्त करने वाली 38 ग्राम पंचायतों ने मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 77 की अनुसूची 1 व 2 एवं धारा 80 की अनुसूची 3 में उल्लेखित प्रावधानों के मुताबिक अनिवार्य व वैकल्पिक कर अधिरोपित नहीं किया ,उक्त ग्राम पंचायतों ने करारोपण से प्राप्त राशि (पंचायत निधि) पंचायत राज अधिनियम की धारा 66 के प्रावधानों के तहत शासकीय खजाने में ही जमा करनी चाहिए जो पंचायतों द्वारा नहीं किया इससे स्पष्ट है की करारोपण की राशि ग्राम पंचायतों द्वारा वसूल ही नहीं की गई, उक्त ग्राम पंचायतों द्वारा करारोपण से प्राप्त राशि शासकीय खजाने में जमा करने के पश्चात उस राशि का पंचायत राज अधिनियम की धारा 129 के तहत स्थानीय निधि संपरिक्षक से समपरीक्षा कराया जाना चाहिए जो उक्त ग्राम पंचायतों ने नहीं कराया अर्थात स्थानीय निधि संपरिक्षक से ऑडिट नहीं कराया उपरोक्त कार्यवाही कराए जाने के पश्चात ग्राम पंचायतों द्वारा जनपद पंचायत में उपरोक्त की गई कार्यवाही का परीक्षण व भौतिक सत्यापन कराए जाने का प्रावधान है जो जनपद के सक्षम अधिकारी से नहीं कराया गया बिना भौतिक सत्यापन ही लिपिक राजेश सोनी, बीपीओ बालेंद्र पाण्डेय एवं तत्कालीन सीईओ गंगेव संजीव तिवारी से मिलकर फर्जी व कूट रचित जानकारी जिला पंचायत रीवा के माध्यम से पंचायत राज संचनालय भोपाल को भेजकर विधि विरुद्ध तरीके से लगभग 13 करोड रुपए कराधान की राशि प्राप्त की गई,जो जांच का बिंदु है जिसकी जांच आज दिनांक तक नहीं कराई गई जिसके लिए कराधान प्राप्त करने वाली 38 ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिवों के साथ तत्कालीन सीईओ जनपद, बीपीओ बालेंद्र पांडेय व लिपिक राजेश सोनी दोषी है*|
*✍🏽पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 77 व 80 मे करारोपण के संबंध में स्पष्ट उल्लेख व निर्देश है की करारोपण किन-किन व्यवसायो में किस प्रक्रिया के अंतर्गत लगाया जाना है करारोपण के निर्धारण का अनुमोदन ग्राम सभा में कराए जाने के पश्चात उसके संबंध में दावा-आपत्ति प्राप्त की जाकर यथोचित निराकरण पश्चात ग्राम सभा में अंतिम रूप से अनुमोदन कराया जाना चाहिए तत्पश्चात करारोपण की राशि वसूली की जा कर प्राप्त राशि पंचायत के खाते में विधिवत रूप से जमा करा कर उसका लेखा-जोखा संधारित किया जाना चाहिए, परंतु जनपद गंगेव मे कराधान की राशि प्राप्त करने वाली 38 ग्राम पंचायतों ने उक्त कार्यवाही किए बिना ही जहां करारोपण किए जाने की संभावना ही नहीं थी और ना ही किसी प्रकार की राशि वसूल की गई है, वहां करारोपण से फर्जी आय दिखाकर शासन से धोखाधड़ी कर कराधान की राशि प्राप्त कर राशि का गबन किया गया है*|
*✍🏽ग्राम पंचायत तिवनी जनपद पंचायत गंगेव जिला रीवा के पूर्व सरपंच श्री मुनींद्र तिवारी को इस बात की जानकारी है कि पंच सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो गया है पंचायतों में कमेटी बना दी गई है ,हर ग्राम पंचायत के प्रमुख ग्राम पंचायत के प्रधान है ऐसी स्थिति में पंच सरपंच संघ का कोई औचित्य नहीं रह गया है, इसके बाद भी चंदे का धंधा चलता रहे इसके लिए श्री मुनींद्र तिवारी द्वारा फर्जी संघ के मोनो का दुरुपयोग कर रहे हैं जो कि घोर निंदनीय है तथा आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है* |
*✍🏽 पूर्व सरपंच श्री मुनींद्र तिवारी को इस बात का भी आभास हो गया है कि अपने ग्राम पंचायत के कार्यकाल के दौरान किए गए करोड़ों के घोटाले से अब नहीं बच सकते इसलिए मेरे सम्मान में मेरे नाम के पहले भ्रष्टाचारी के स्थान पर अब अपराधी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं,उनको इस बात की जानकारी है की सत्ता परिवर्तित होते ही लोग बदले की भावना से काम करते हैं सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष के राजनैतिक व्यक्तियों से दुश्मनी निभाने के लिए आपराधिक मामलों में फंसाते हैं, जिससे देश व प्रदेश का कोई नेता अछूता नहीं है हमारे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी इसके उदाहरण है फिर मेरी क्या विषाद है, मैंने तो जन भावनाओं के अनुरूप तहसील बनाने के आंदोलन के लिए संघर्ष किया था, जनता की समस्याओं के लिए लड़ाई लड़ना यदि अपराध माना जाता है तो मुझे ऐसा अपराध करने से कोई नहीं रोक सकता*|
*✍🏽मैं भाई मुनीन्द्र तिवारी से पुनः कहना चाहूगा कि मेरे विरुद्ध अरबो रूपये के घोटाले की फाइल जो उन्होंने खुलवाई है व जो आरोप मेरे ऊपर लगा रहे हैं उसकी निस्पक्ष जांच किसी स्वंतत्र एजेसी से करा सकतें है मुझे किसी प्रकार की कोई आपत्ति नही है,साथ ही मै यह भी चाहूगा कि श्री तिवारी अपने सरपंच कार्यकाल के दौरान कुल आहरित राशि के विरुद्ध कराए गए कार्यो की जांच हेतु अपनी सहमति ब्यक्त करे तथा राशि सें जुड़े समस्त अभिलेख तथा ग्राम पंचायत तिवनी के अपने कार्यकाल के समय का समस्त प्रभार वर्तमान सरपंच (प्रधान) एवं सचिव को उपलब्ध कराये,जिससें मेरे ऊपर आरोपित अरबो रूपये के घोटाले के साथ श्री मुनीन्द्र तिवारी के बिरूद्ध अरोपित करोड़ो रूपये के घोटाले की विधिवत जांच की जा सके*।
✍🏽 *श्री मुनींद्र तिवारी से यह भी अनुरोध करूंगा कि चंदे के गोरखधंधा के लिए बनाए गए फर्जी संघों का दुरुपयोग करना बंद करें अन्यथा मुझे जेल भिजवाने के पहले कहीं वह ही जेल ना चले जाएं*।
*जैसा कि वह जानते हैं कि ग्राम पंचायतें कर लगा सकती हैं कर वसूल सकती है पर यदि ग्राम पंचायतों ने अधिनियम के अनुसार कर नहीं लगाया, कर नहीं बसूला, फर्जी दस्तावेज तैयार कर पंचायत राज संचनालय भोपाल से राशि प्राप्त की है तो करारोपण की पात्रता की जांच होनी चाहिए जो आज तक नहीं हुई है,जांच होने पर दूध का दूध एवं पानी का पानी हो जाएगा एवं जो भी गड़बड़ी किया होगा चाहे पंचायत का अमला हो या जनपद का, जांच उपरांत नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए।*
( *संजय पाण्डेंय* )
पूर्व उपाध्यक्ष जनपद गंगेव
जिला रीवा (म0प्र0)
(मो.नं. 9827372597)
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