बाघ-चीतों को बसाने हजारों परिवार कोर एरिया से बाहर होंगे
बाघ-चीतों को बसाने हजारों परिवार कोर एरिया से बाहर होंगे
नौरादेही विस्थापन- 72 गांव बाहर होने थे 7 सालों में महज 13 गांवों का विस्थापन हो सका
- तेन्दूखेड़ा! दुनिया में लगातार फैलते शहर और सिकुड़ते जंगलों के कारण प्राकृतिक आवास के बजाय चिड़ियाघरों में वन्य प्राणी आसरा पा रहे हैं ऐसे में नौरादेही वन्य अभ्यारण्य में उलट स्थिति देखने को मिल रही है यहां बीते सालों में 1900 से अधिक परिवारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है हजारों परिवार अभी और बाहर होने हैं चूंकि नौरादेही को नेशनल पार्क बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है कागज दौड़ने लगे हैं ऐसे में अब जल्द ही जंगल के अदंर बसेरा बनाएं परिवारों को यहां से बाहर निकलना ही पडे़गा दरअसल नौरादेही वन्य अभ्यारण्य में पांच बाघ बस चुके है अब अफ्रीका से चीतों को यहां बसाया जाना है इन्हें इंसानी दखल पसंद नहीं इसलिए इंसानों को हर हाल में जंगल छोड़कर बाहर निकलना पड़ेगा हालांकि सरकार इसके लिए मुआवजे के रूप में मोटी रकम दे रही है गांधी नेशनल पार्क बनने जा रहे नौरादेही वन्य अभ्यारण्य को पूर्ण रूप से बाघ और अफ्रीकन चीतों का प्राकृतिक आवास बनाने के लिए कोर एरिया में बसे 72 गांव के हजारों परिवार को जंगल छोड़ना होगा साल 2012-13 से विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं 7 सालों में कोर एरिया से करीब 13 गांवों को पूरी तरह विस्थापित कर यहां के 1903 परिवारों को मुआवजा देकर बाहर करने के लिए वन विभाग व जिला प्रशासन कमर कस चुका है वन्य ग्रामों के विस्थापन की केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार यहां पात्र परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिया जा रहा है इसमें खेत कुएं से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए भी मुआवजा तय है अभी तक 1903 परिवारों को 116 करोड़40 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिया जा चुका है विस्थापन में नौरादेही अभ्यारण्य में बसे गांवों में दमोह सागर और नरसिंहपुर जिले के गांव शामिल हैं
*कुल 219 गांव 72 का होगा विस्थापन*
नौरादेही अभ्यारण्य क्षेत्र में कुल 219 गांव है अभ्यारण्य में जंगल के अदंर 74 गांव बसे हैं इनमें से 72 गांव सीधे तौर पर कोर एरिया में बसे हैं इनकों प्राथमिकता से विस्थापित किया जाना है इनमें से अभी तक 13 गावों को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है बाकी के 59 गांवों का भी सर्वे हो चुका है
*तीन जिलों और 1200 वर्ग किमी में फैला है अभ्यारण्य*
सबसे बड़ी बात तो यह भी है कि नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य का विस्तार 1200 वर्ग किलो मीटर है यह सागर दमोह और नरसिंहपुर तीन जिले तक फैला हुआ है इसमें छह रेंज है सर्रा झापन मोहली सिंगपुर नौरादेही और ढोंगर शामिल हैं
*प्रशासन के खातों में 218 करोड़ से अधिक बकाया*
जिला प्रशासन और नौरादेही प्रशासन से मिली जानकारी अनुसार अभ्यारण्य में वन ग्राम और राजस्व ग्राम बसे हुए हैं इनकों विस्थापित करने के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से काम चल रहा है शासन ने बीते सालों में करीब 380 करोड़ रुपये मिल चुका है जिसमें से 1 अरब 61 करोड़ 40 लाख से अधिक का मुआवजा बांटा जा चुका है फिलहाल तक खातों में 218 करोड़ रुपये पड़े हैं
*भविष्य की प्लानिंग*
केंद्र और राज्य सरकारें नौरादेही वन्य अभ्यारण्य को गांधी नेशनल पार्क घोषित कराने जा रही है इसका प्रस्ताव वन मंडल कार्यालय से शासन को सबमिट हो चुका है इसे केंद्र को भेजा जाएगा इधर नौरादेही में बीते ढाई साल में बांधवगढ़ और कान्हा से बाघ-बाघिन लाकर बसाये गए हैं इनके तीन शावक भी नौरादेही अभ्यारण्य के जंगल में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं भविष्य में यहां पर अफ्रीकी देश नामीबिया से विलुप्त प्रजाति के चीतों को लाकर बसाने की तैयारियां चल रही है इसी प्रोजेक्ट को लेकर सरकार यहां सैंकड़ों करोड़ खर्च कर विस्थापन का काम कर रही है
*नौरादेही में विस्थापन का गणित*
74 अभ्यारण्य में कोर एरिया में बसें गांव]
143 अभ्यारण्य में बाहरी हिस्से में बसें गांव]
72 विस्थापन की जद में आने वाले गांव]
13 अभी तक विस्थापित हो चुके गांव]
59 भविष्य में विस्थापित होने वाले गांव]
1903विस्थापित किए गए परिवारों की संख्या]
*अब तक बंटा मुआवजा और विस्थापन का उद्देश्य*
नौरादेही अभ्यारण्य में विस्थापन में अभी तक 1अरब 61 करोड़ 40 लाख अधिक मुआवजा दिया जा चुका है एवं नौरादेही अभ्यारण्य में वन्य प्राणियों को मानवीय दखल से दूर रखना ही विस्थापन का उद्देश्य है
*13गांव विस्थापित हो चुके हैं*
नौरादेही वन्य अभ्यारण्य से करीब 72 गांवों व आबादी को विस्थापित किया जाना है इनमें से13 गांवों का विस्थापन पूरी तरह हो चुका है बाकी गांवों का विस्थापन का काम भी चल रहा है गांधी नेशनल पार्क बनाने के लिए शासन ने प्रक्रिया प्रारंभ की है इसके लिए प्रस्ताव शासन को सबमिट किया जा चुका है
*नवीन गर्ग डीएफओ नौरादेही वन्य अभ्यारण्य वनमंडल कार्यालय सागर मध्यप्रदेश*
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